राजस्थान बजट विश्लेषण: कितनों की पूरी हुई आस और कितनों को आया यह रास?

2023 का बजट तो हर तरफ चर्चा में

10 फरवरी को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया। यह अंतिम बजट यादगार तो साबित हुआ ही लेकिन पूरे देशभर में इस बजट का एक किस्सा हास्य का पात्र बना, जब मुख्यमंत्री बजट पढ़ रहे थे तभी उन्हें जलदाय मंत्री महेश जोशी ने पीछे से टोका और कहा कि जो पन्ना वो पढ़ रहे है वो पिछले बजट का है। ऐसे में विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा और बजट लीक का आरोप लगाया। लेकिन सरकार ने मानवीय भूल का बहाना बनाते हुए अपना बचाव किया। सरकार की इस गलती के कारण अबका बजट हर तरफ चर्चा में रहा |

जनता को क्या मिला – तोहफा या मायूसी ?

बात करे प्रदेशवासियों के लिहाज से तो इस बार का बजट हर वर्ग के लिए खास रहा । क्योंकि इस बजट में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ दिया गया। घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट बिजली मुफ्त , किसानों को 2000 यूनिट बिजली की छूट, उज्जवला योजना धारी परिवारों को 500 रु. में सिलेंडर , महिलाओं को रोडवेज में 50% छूट, चिरंजिवी बीमा कवर 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख करना , हर जिले में आत्महत्या रोकने और युवाओं में मानसिक अवसाद की समस्या के निराकरण के लिए काउंसलिंग सेंटर की स्थापना, युवाओं के लिए परीक्षा भर्ती का रजिस्ट्रेशन निशुल्क करना , महिलाओं को सिलाई मशीन के लिए 5000 रु. की आर्थिक सहायता , बुजुर्गो को प्रतिमाह 1000रु. पेंशन तथा 3000 सफाईकर्मचारियो की भर्ती आदि की घोषणा कर इस बजट को यादगार बनाया गया।

बजट सत्र से पहले कई विधायकों और जनप्रतिनिधियों ने नए जिले बनाने की मांग जोरो शोरो से की तो ऐसा लगा कि अबकी बार तो राजस्थान को नए जिलों की सौगात मिल सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

ऐसा माना जा रहा है कि नए जिलों के बनने से प्रदेश में भौगोलिक के अलावा राजनेतिक और प्रशासनिक परिवर्तन भी होते लेकिन चुनावी साल में गहलोत कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। वही दूसरी ओर CHA अभ्यर्थियों को नियमित नहीं किया गया। ऐसे में जिनकी आस थी उन्हे बजट से निराशा भी मिली।

यह बजट राजस्थान को कहाँ ले जा सकता है ?

हालांकि यह बजट राजस्थान को विकास के पथ से ज्यादा लोक लुभावनी घोषणाओं के माध्यम से चुनावी प्रतीत होता है । क्योंकी इस बजट में फ्रीबीज के माध्यम से जनता को चुनाव की और अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया गया लेकिन विकास के लिहाज से कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया। यह बजट विजनरी से ज्यादा किसी राजनैतिक पार्टी की विलिंगनेस को दर्शाता है। हालांकि जनता को फिर भी यह बजट काफी रास आया।

इस बजट में एक घोषणा चौंकाने वाली रही  , वह है सभी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत लाना जबकि केंद्र और राज्य के बीच अभी भी ओपीएस को लेकर एकमत नहीं है। ऐसे में यह घोषणा कितना कारगर साबित होती है ।

अनुमान और सम्भावना : 2023 में चुनावी घमासान

देखना होगा कि यह बजट इस साल होने वाले चुनावों में क्या भूमिका निभाता है और क्या गहलोत का जादू फिर लोगो पर चढ़ता है या फिर जनता उन्हे ठेंगा दिखाती है| बचत , राहत और बढ़त का यह पैकेज कांग्रेस को जीत दिलाता है या फिर मोदी की रणनीति से राजस्थान में फिर से कमल खिल पाता है ? जादू चाहे जिसका भी चले पर जनता को इस बार पूरी एकजुटता के साथ अगले पांच सालों के लिए ऐसी सरकार को चुनना होगा जिसके हाथ में विकसित , सुरक्षित और गौरवान्वित प्रदेश के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

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