मोदी है तो मुमकिन है , यह बात कई मायनो में सार्थक साबित होती है। अब देश में हो रहे सकारात्मक बदलावों की बात करे तो यह हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है, लेकिन अगर विपक्षी पार्टीयों के नेताओं को जांच एजेंसियों या फिर कोर्ट के माध्यम से डराना ; ऐसे में बीजेपी की राजनीतिक रणनीति को कूटनीति कहना गलत नहीं होगा। हालाँकि यह विपक्षी नेता , जिनपर अनेको मुक़दमे चल रहे है उनके बारे में भी स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है। हालिया घटनाक्रम राहुल गाँधी का है , जिन्हे सूरत कोर्ट ने एक केस में 2 साल की सजा दी और इसके अगले ही दिन राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्य्ता रद्द कर दी गयी। अब कांग्रेस भी सड़को पर बीजेपी के विरोध में आ गयी है और उनके समर्थन में विपक्षी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है।
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क्या है मामला ?
दरअसल राहुल गाँधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली के दौरान कहा था कि “नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी इन सबमे एक चीज कॉमन है। इन सभी चोरो का सरनेम मोदी कैसे है? अभी तो और ऐसे पता नहीं कितने लोग ढूंढना बाकी है। ” इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सूरत कोर्ट ने गुरूवार को मोदी सरनेम पर दिए गए उनके आपत्तिजनक टिपण्णी पर मानहानि मामले में 2 साल की सजा और 15000 रुपये का जुर्माना लगाया। हालाँकि कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए उन्हें 30 दिन की अंतरिम राहत प्रदान की।
राहुल की सदस्य्ता रद्द क्यों ?
कोर्ट के राहुल को सजा सुनाने के अगले ही दिन लोकसभा स्पीकर ने राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। इसका आधार बना -10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1951 के जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दिया जाना , जिसके अनुसार किसी दोषी जनप्रतिनिधि को कोर्ट में अपील लंबित रहने के दौरान पद पर रहने की छूट थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 2 साल से अधिक की सजा होने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो जाती। राहुल गाँधी वायनाड से सांसद है , उनकी सदस्यता रद्द होने पर अब चुनाव आयोग इस सीट पर उपचुनाव करवा सकता है क्योंकि लोकसभा चुनाव में अभी 1 साल से भी अधिक का समय बचा है।
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बीजेपी को फायदा या नुकसान?
राहुल गाँधी की सदस्यता रद्द होने से बीजेपी को फायदा तो है ही लेकिन नुकसान भी है। बीजेपी राहुल के उस बयान को ओबीसी का अपमान मान कर इसका विरोध करेगी और राहुल गाँधी के खिलाफ माहौल बनाने का काम करेगी। लेकिन राहुल के ऊपर इस करवाई के विरोध में सभी विपक्षी पार्टियों ने मोर्चा खोल दिया है। जिस विपक्ष को एकजुट करना लगभग असंभव माना जा रहा था , इस काम से सारा विपक्ष एक हो गया है। अभी तक कांग्रेस के साथ केवल आप , सपा , जदयू और शिवसेना (उद्धव) जैसी पार्टियां थी लेकिन अब टीएमसी और वाम दल समेत अनेक पार्टियां बीजेपी के विरोध में आ गयी है। दूसरा तो यह है कि, अगर राहुल को सजा हो जाती है तो बीजेपी के पास कांग्रेस को घेरने का कोई और मुद्दा भी नहीं मिलेगा क्योंकि अब तक तो बीजेपी राहुल के नाम पर कांग्रेस को घेरती आ रही थी लेकिन राहुल को सजा होने पर बीजेपी खुद सवालों के घेरे में न घिर जाए?
राहुल के लिए अब आगे क्या ?
राहुल अगर 30 दिन तक अपने ऊपर लगे हुए इलज़ाम को गलत साबित नहीं करते है या ऊपरी अदालत में अपील नहीं करते हैं तो उनकी जमानत अर्जी निष्फल साबित होगी। दरअसल उन्हें कोर्ट में जमानत की अर्जी लगानी ही नहीं चाहिए थी क्योंकि अगर वो सजा को ग्रहण कर लेते तो उनकी सदस्य्ता भी रद्द नहीं होती और एक तरह से उन्हें जनता की सहानुभूति भी मिल जाती। लेकिन अब उनके पास कोई विकल्प नहीं है , क्योंकि उनकी सजा भी कम होती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में अगर राहुल को 2 साल की सजा होती है तो वे 6 साल तक तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। लेकिन राहुल भी यह बात साफ़ कर चुके है कि वो न तो माफ़ी मांगेंगे और न ही इन सब से डरेंगे।